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"एलिना और ब्लैक मास्टर आमने-सामने!

अब तक......

वह अजीब तरीके से हंसने लगा। उसकी हंसी में सुकून नहीं, कुछ अजीब सा था... खतरनाक सा। उसने तिरछी स्माइल दी।

करीब 20 मिनट बाद वह जहाज शिप के पास आ चुका था। और उसके आदमियों ने बैरेट को दूसरे जहाज पर शिफ्ट कर दिया था और वे वहां से निकल भी चुके थे।

वह जहाज शिप के पास आकर रुका, और वहां से एक आदमी, थ्री-पीस सूट पहना हुआ, शिप में आया। और उसके साथ कुछ और आदमी भी।

अब आगे.....

वह आदमी, जो थ्री-पीस सूट में था, शिप पर चढ़ा। उसके पीछे दो और आदमी थे — एक मजबूत कद-काठी वाला, और दूसरा थोड़ा दुबला-पतला। पर दोनों के चेहरे पर एक अजीब सी सख्ती थी।

उन्हीं के आने की खबर, ब्लैक मास्टर तक पहुंच गई थी। उसने बिना कोई हड़बड़ाहट दिखाए, धीरे-धीरे अपने कदमों को आगे बढ़ाया।

जहां वे आदमी खड़े थे, वहीं पर ब्लैक मास्टर भी आ गया। उसका रौब पूरी हवा में फैल गया।

वही, वह सूट वाला आदमी तुरंत आगे बढ़ा और थोड़ा झुकते हुए बोला, “आपका इंतज़ार था।”

ब्लैक मास्टर ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया। उसने सीधे उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “हमारे बीच जो डील हुई थी... याद है तुम्हें, Mr. वीरेंद्र शेखावत?”

उसके सामने खड़ा वो सूट वाला आदमी — मतलब, वीरेंद्र शेखावत — बस सिर हिलाकर हामी भर सका।

ब्लैक मास्टर ने गहरी आवाज़ में कहा, “ओके... अब तुम जा सकते हो।”

इतना कहकर उसने अपने कदम आगे बढ़ा दिए।

वहीं, वीरेंद्र शेखावत हैरानी से उसे देखने लगा। और फिर तुरंत बोल पड़ा, “ब्लैक मास्टर... क्या हमसे कोई गलती हो गई? आप ऐसे क्यों जा रहे हैं? हमारे बीच जो डील हुई थी... जो बातें तय हुई थीं... मैंने अपनी बात पूरी की है। पर आपकी बात का क्या? आप ऐसे कैसे जा सकते हो?”

उसकी बात सुनकर ब्लैक मास्टर ने अपने कदम रोक दिए। और गहरी, खतरनाक निगाहों से उसे घूरने लगा।

फिर बेहद सख्त लहजे में कहा, “अभी जाओ यहां से... मुझे इससे भी ज्यादा इंपोर्टेंट काम है। मैं तुमसे फिर कभी मिलूंगा।”

इतना कहकर वह बिना एक पल रुके, अपनी दूसरी शिप की तरफ चला गया।

वहीं, वीरेंद्र शेखावत — जो कि इंडिया से आया था — बस उसे जाते हुए देखता ही रह गया...

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दो घंटे बाद, दोपहर के 3:30 बज चुके थे।

एक कमरे में जहां ना तो ज्यादा रोशनी थी और ना ही बहुत ज्यादा अंधेरा। वहां बैरेट बंधा हुआ था। वो बुरी तरह झटपटा रहा था।

गुस्से में बोला, “छोड़ो मुझे!”

तभी वहां एक लड़की भाग के अचानक उसके पास आई। उसके चेहरे पर फिक्र साफ थी।

वो बोली, “Dad, आप ऐसे किसने आपको पनिश किया है?”

बैरेट, जिसका सिर झुका हुआ था और जो अपने हाथों को खोलने की कोशिश कर रहा था, उसकी आवाज़ सुनकर अपना सर उठा कर उसे देखने लगा।

उसके चेहरे पर चिंता और घबराहट दोनों थी। वह घबराते हुए बोला, “प्रिंसेस, तुम यहां...?”

पैनिक में आकर बोला, “तुम यहां पर कैसे? कौन लाया है तुम्हें? क्यों आई हो तुम यहां?”

वो लड़की, एलीना, मासूमियत से फिकर भरी आवाज़ में बोली, “Dad, आपको सच में पनिश किया है।”

तभी बैरेट ने अपना दिमाग़ पूरा इस्तेमाल करते हुए कहा, “तुमसे अभी ये सब बातें छोड़ो। मैं नहीं जानता तुम्हें किसने लाया, पर क्या तुम अपनी डैड की एक बात सुनोगी?”

एलीना ने मासूमियत से हां में सिर हिला दिया।

बैरेट बोला, “देखो, मुझे मेरे हाथों में रस्सी बंधी है, इन्हें खोल दो।”

एलीना उसे देखने लगी, पर कुछ कर नहीं रही थी। तब बैरेट की फिक्र बढ़ने लगी कि कहीं कोई आ गया तो फिर वे वहां से नहीं जा पाएंगे।

फिर वह दोबारा बोला, “प्रिंसस, प्लीज... डैड के हाथ खोलो।”

तो एलीना ने एक नजर उसके हाथों पर डाली, फिर उसके चेहरे पर, और फिर मासूमियत से बोली, “पर डैड, अगर मैंने आपके हाथ खोल दिए तो आपको और ज्यादा पनिशमेंट मिलेगी। और आपकी प्रिंसेस ऐसा नहीं चाहती।”

वहीं, तभी वहां एक ऊंचा आदमी आया, जिसके चेहरे पर काला मास्क था। वह कोई और नहीं, बल्कि ब्लैक मास्टर था, जिसकी आंखें और बस उसके होंठ ही दिखाई दे रहे थे, जिन पर एक खतरनाक मुस्कुराहट थी।

एलीना को जब महसूस हुआ कि उसके पीछे कोई है, तो उसने अपना छोटा सा सिर पीछे की तरफ घुमाया और उसे देखने लगी, बोली,

“मैंने डैड के हाथ नहीं खोले, अब उन्हें पनिशमेंट नहीं मिलेगी ना मास्टर।”

ब्लैक मास्टर ने अपनी गहरी नजरों से एलीना को देखा और अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “नहीं, अब कोई पनिशमेंट नहीं मिलेगी।”

वहीं बैरेट ये देख बोखला गया और चिल्लाते हुए बोला, “दूर रहो मेरी बेटी से! उसे हाथ मत लगाओ।”

एलीना इतनी तेज आवाज़ सुनकर बहुत डर गई, उसने अपने दो कदम पीछे ले लिए।

अपनी बेटी को ऐसे डरते देखकर, बैरेट चुप हो गया।

To be continued....

कैसे आई ए

लिना वहां ? क्या ब्लैक मास्टर उसकी मासूमियत का उठाएगा फायदा ? जानने के लिए पढ़ते रहे

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